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मात और शह

*मात और शह*
आज के इस दौर में चलते रहें,
लाख राहें हों कठिन बढ़ते रहें।।

वीर तो रुकता नहीं है राह में,
ताप के भी ताप को सहते रहें।।

बुद्धि-साहस मीत तो होते सदा,
सीख लेकर बस इन्हें गढ़ते रहें।।

मात और शह जीवन के गीत हैं,
मूल-मंत्र है यही भजते रहें ।।

राह का मंज़िल से होता रिश्ता,
सौ टके की बात यह गुनते रहें।।

पाँव में तो ठोकरें लगतीं यहाँ,
पाहनों से बात मधु करते रहें।।

साथ में कोई अगर भी है नहीं,
चाहतों को साथ ले रमते रहें।।
             ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                9919446372

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7 Comments

Gunjan Kamal

10-Oct-2023 10:30 AM

👏👌

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Punam verma

10-Oct-2023 08:05 AM

Nice👍

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Abhinav ji

10-Oct-2023 07:12 AM

Very nice 👍

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